मोदी की जीत के साइड इफेक्ट्स । Lok sabha Elections में कांग्रेस की हार के बाद से इस्तीफों का दौर जारी
आजादी के बाद देश के पहले ऐसे गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनेगे जो लगातार दूसरी बार देश की बागडोर को संभालेंगे ।
इस बार की सियासी जंग मैं मोदी ने ऐसी सुनामी लायी की विरोधियो का सूपड़ा तक साफ हो गया खास बात ये रही की इस लड़ाई मैं मोदी ने जो जुबानी तीर चलाये उसमे वंशबाद सबसे अहम् रहा । मोदी की परिबार वाद पर प्रचंड प्रहार का ही असर था की १७ राज्यों मैं कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला । मोदी की प्रचंड जीत के साइड इफेक्ट्स दिखने लगे हैं,२०१९ के सियासी रण मैं नरेंद्र मोदी ने विरोधियों को ऐसे रोंधा की नतीजों के बाद विपक्षी खेमे मैं खलवली मची हुई है । उत्तर से दक्षिण तक एवं पूर्व से पश्चिम तक विरोधी खेमा सकते मैं है मालूम ये है की नतीजों के बाद कुछ नेताओ ने नेतृत्व के खिलाफ वगावती तेवर अपना लिया है तो कुछ अपनी करारी हार के लिए नियत और नीतिओ को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, कुछ ऐसे भी हैं जो मोदी की तरह परिवार वाद और वंशवाद को जिम्मेदार मान रहे है नतीजों के बाद जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई तो उसमे हार का भाव सबके चेहरे पर नज़र आ रहा था इसी मीटिंग मैं राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की तो सभी मेंबर्स ने उसे अस्वीकार कर दिया। नतीजों मैं बीजेपी को ३०३ एंड कांग्रेस को ५२ सीट मिली है यंहा कांग्रेस पूरी तरह विपक्ष की भूमिका मैं भी दिखाई नहीं दे रही है क्योकि विपक्ष का दर्जा पाने के लिए कम से कम ५५ सीट पाना जरुरी है वही मध्य प्रदेश मैं प्रदेश अध्यक्ष वदलने की मांग उठी है ।कांग्रेस के कई राज्य प्रमुखो ने इस्तीफा हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा भेजा ।उधर दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी को यू पी मैं सिर्फ पांच सीटें ही मिली हैं ।
No comments:
Post a Comment